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SUMMER THEATRE WORKSHOP

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  Vinod Rastogi Smriti Sansthan Prayagraj is Organizing 14 DAYS FUN PACKED "SUMMER THEATRE WORKSHOP" (Free) Under Guidance of Dr. Mukesh Upadhyay Assistant Professor (Performing Arts) Deptt. of Teacher Education Central University of Haryana, Mahendragarh & Mr. Arun Srivastava Research Scholar (Theatre Art's) Deptt. of Dramatics University of Rajasthan, Jaipur 06 to 19 May, 08:00 AM to 11:00 AM Age 18 & above For more details: +91 7783912449 #acting #workshop #teamvrss #vrss #workshop #theatreworkshop #drama #theatre #indiantheatre #theater #dramafestival #nsd #dramaschool #dramaclass #dramaclub #plays #playwrights #dramatic #actorslife #artist #theatrearts #art #life #playtime #director #actor #writer

HAPPY NEW YEAR 2020

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"Vinod Rastogi Smriti Sansthan" Wishing You A Very "HAPPY NEW YEAR" 2020 #happynewyear2020 #HappyNewYear #officialvrss #vrss #india #drama #acting #actorslife

हिन्दी नाटक - "सूतपुत्र"

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हिन्दी नाटक  - "सूतपुत्र" आलेख - विनोद रस्तोगी संगीत, परिकल्पना एवं निर्देशन  - अजय मुखर्जी प्रस्तुति  - विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान कथासार महाभारत की कथा से कौन परिचित नहीं है , फिर भी इस महासागर से एक मोती को चुनकर विनोद रस्तोगी जी ने रच डाला एक काव्य नाटक " सूतपुत्र " महाबली श्रेष्ठ धनुर्धर एवं दानवीर कर्ण की कथा को कुछ इस तरह प्रस्तुत किया है लेखक ने कि उसकी वीरता के साथ ही उसके अंतर्द्वद्व एवं हृदय की वेदना को भी प्रकाश में लाया जा सके । एक सूतपुत्र को समाज में क्या - क्या झेलना पड़ता है इसे बड़ी गंभीरता से वर्णित किया गया है ।                     कर्ण की कथा के माध्यम से एक प्रयोगात्मक रंग प्रस्तुति द्वारा सूतपुत्रों की दशा पर रंगचर्चा आवश्यक है आज । आज भी द्रोणाचार्यों , राजपुत्रों तथा परशुरामों द्वारा उपेक्षित होकर युवा , दर्योधनों की शरण में जाने को विवश हैं और यही दर्शाने का प्रयास है नाटक " सूतपुत्र " ।                            वैसे तो ये कथा द्वापर युग की है पर स्थितियाँ कमोवेश वैसी ही हैं आज कलयुग में भी या यूँ

नाट्य कार्यशाला - "द्वापर की वामा"

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नाट्य कार्यशाला - "द्वापर की वामा" कल दिनाँक 16/09/2019 को जगत तारन गोल्डेन जुबिली स्कूल के "रवीन्द्रालय प्रेक्षागृह" में एक अनूठी प्रस्तुति देखने को मिली, जब बालिकाओं ने महाभारत के पात्रों को मंच पर सजीव किया। पिछले एक माह से "विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान" के सहयोग से "जगत तारन गर्ल्स इंटर कॉलेज" में एक नाट्य कार्यशाला के माध्यम से "विनोद रस्तोगी" रचित "सूत पुत्र" पर आधारित "द्वापर की वामा" नाटक तैयार किया गया, जिसका मंचन विद्यालय के "शताब्दी समारोह" में हुआ। नाटक का संपादित आलेख एवं निर्देशन किया श्री अजय मुखर्जी ने। विद्यालय की छात्राओं ने अपने अभिनय कौशल से महिला एवं पुरुष पात्रों को मंच पर जीवंत किया। #Theatre #Drama #Play #NSD #FTII #Rangmanch #HindiPlay #Artist #Acting #Actor #Actress #Emotions @ Prayagraj - The Kumbh City

हिन्दी नाटक - "हज़ार चौरासी की माँ"

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हिन्दी नाटक - "हज़ार चौरासी की माँ" उपन्यास - महाश्वेता देवी पुनः नाट्य रुपान्तरण, संगीत, परिकल्पना एवं निर्देशन - अजय मुखर्जी प्रस्तुति - विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान कथासार             आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक व्यवस्था को नकारते अपनी आवाज़ बुलंद करते विद्रोही युवा वर्ग की कहानी है "हज़ार चौरासी की माँ"|            महाश्वेता देवी ने अपने उपन्यास में इस युवा आन्दोलन के चलते टूटते बिखरते परिवारों की मनोभावना को रेखांकित किया है| विशाल, राजू और न जाने कितनों ने क़ुरबानी दी व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए, पर उनके घरवालों पर क्या गुज़रती है, ये लाश संख्या "1084 की माँ" "सुजाता देवी" की स्थिति देखकर स्वयं ही महसूस किया जा सकता है|            नाट्य रूपान्तर में उपन्यास की मूल भावना से कोई छेड़-छाड़ नही की गई है| बीएस रंगमंच की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए थोड़ा छोटा कर दिया गया है| Video Link -  https://youtu.be/PgIPlGQ2D9o

हिन्दी नाटक - मटियाबुर्ज

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हिन्दी नाटक - "मटियाबुर्ज" लेखक -  रियुनोसुके अकूतागावा हिन्दी रुपान्तरण - रमेश चंद्र शाह संगीत - अजय मुखर्जी निर्देशक - सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ प्रस्तुति - विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान कथासार            रियुनोसुके अकूतोगावा की दो जापानी कहानियों का संगम है , ये नाटक "मटियाबुर्ज" इस नाटक का रुपांतरण रंगमंच के पूरोधा बी. वी. कारंत के आग्रह पर श्री रमेश चंद्र शाह ने किया था और उन्होंने इसी कथा पर बनी अकीरा कुरोसावा निर्देशित मशहूर जापानी फ़िल्म ' राशोमोन ' को भी रचना के आधार में रखा। नाटक में सच और झूठ को नई परिभाषा दी गई है कि “सच तो जुगनू की तरह होता है जो अभी दिखाई देता है और अभी आंखों से ओझल हो जाता है ,   तथा झूठ तो खटमल की तरह होता है जिसके साथ हम रोज़ सोते और जागते हैं|           अमीरों पर कटाक्ष तथा गरीबों के प्रति सहानुभूति और संवेदना भरे शब्द ये सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि भूख से मर जाना ही एक रास्ता है या छोटी-मोटी चोरी , बेईमानी का रास्ता पकड़कर जिंदा रहने की जद्दो-जहद करना।           नाटक आरंभ होता है एक बलात्कार और