हिन्दी नाटक - "हज़ार चौरासी की माँ"
हिन्दी नाटक - "हज़ार चौरासी की माँ" उपन्यास - महाश्वेता देवी पुनः नाट्य रुपान्तरण, संगीत, परिकल्पना एवं निर्देशन - अजय मुखर्जी प्रस्तुति - विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान कथासार आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक व्यवस्था को नकारते अपनी आवाज़ बुलंद करते विद्रोही युवा वर्ग की कहानी है "हज़ार चौरासी की माँ"| महाश्वेता देवी ने अपने उपन्यास में इस युवा आन्दोलन के चलते टूटते बिखरते परिवारों की मनोभावना को रेखांकित किया है| विशाल, राजू और न जाने कितनों ने क़ुरबानी दी व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए, पर उनके घरवालों पर क्या गुज़रती है, ये लाश संख्या "1084 की माँ" "सुजाता देवी" की स्थिति देखकर स्वयं ही महसूस किया जा सकता है| नाट्य रूपान्तर में उपन्यास की मूल भावना से कोई छेड़-छाड़ नही की गई है| बीएस रंगमंच की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए थोड़ा छोटा कर दिया गया है| Video Link - https://youtu.be/PgIPlGQ2D9o