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Showing posts from July, 2019

हिन्दी नाटक - "हज़ार चौरासी की माँ"

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हिन्दी नाटक - "हज़ार चौरासी की माँ" उपन्यास - महाश्वेता देवी पुनः नाट्य रुपान्तरण, संगीत, परिकल्पना एवं निर्देशन - अजय मुखर्जी प्रस्तुति - विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान कथासार             आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक व्यवस्था को नकारते अपनी आवाज़ बुलंद करते विद्रोही युवा वर्ग की कहानी है "हज़ार चौरासी की माँ"|            महाश्वेता देवी ने अपने उपन्यास में इस युवा आन्दोलन के चलते टूटते बिखरते परिवारों की मनोभावना को रेखांकित किया है| विशाल, राजू और न जाने कितनों ने क़ुरबानी दी व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए, पर उनके घरवालों पर क्या गुज़रती है, ये लाश संख्या "1084 की माँ" "सुजाता देवी" की स्थिति देखकर स्वयं ही महसूस किया जा सकता है|            नाट्य रूपान्तर में उपन्यास की मूल भावना से कोई छेड़-छाड़ नही की गई है| बीएस रंगमंच की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए थोड़ा छोटा कर दिया गया है| Video Link -  https://youtu.be/PgIPlGQ2D9o

हिन्दी नाटक - मटियाबुर्ज

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हिन्दी नाटक - "मटियाबुर्ज" लेखक -  रियुनोसुके अकूतागावा हिन्दी रुपान्तरण - रमेश चंद्र शाह संगीत - अजय मुखर्जी निर्देशक - सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ प्रस्तुति - विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान कथासार            रियुनोसुके अकूतोगावा की दो जापानी कहानियों का संगम है , ये नाटक "मटियाबुर्ज" इस नाटक का रुपांतरण रंगमंच के पूरोधा बी. वी. कारंत के आग्रह पर श्री रमेश चंद्र शाह ने किया था और उन्होंने इसी कथा पर बनी अकीरा कुरोसावा निर्देशित मशहूर जापानी फ़िल्म ' राशोमोन ' को भी रचना के आधार में रखा। नाटक में सच और झूठ को नई परिभाषा दी गई है कि “सच तो जुगनू की तरह होता है जो अभी दिखाई देता है और अभी आंखों से ओझल हो जाता है ,   तथा झूठ तो खटमल की तरह होता है जिसके साथ हम रोज़ सोते और जागते हैं|           अमीरों पर कटाक्ष तथा गरीबों के प्रति सहानुभूति और संवेदना भरे शब्द ये सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि भूख से मर जाना ही एक रास्ता है या छोटी-मोटी चोरी , बेईमानी का रास्ता पकड़कर जिंदा रहने की जद्दो-जहद करना।           नाटक आरंभ होता है एक बलात्कार और